जिला और निजी अस्पतालों मे जीवन से खिलवाड़   इलाज के अभाव में मरीजों की मौत का क्रम  जारी  (प्रशासन और डॉक्टर  मुख्यमंत्री के आदेश पर भी प्रश्न ?)

 


देवास (शाकिर अली दीप) देवास में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर सिर्फ  कोरोना की जांच,कोरेंटाइन,आईसोलेशन और इसके लक्षण वाले मरीज तलाशने कर इलाज मे ही समय लगाया जा रहा है। 
गंभीर बीमारी, सामान्य बीमारी ,प्रसुति और एक्सिडेंटल केस की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसका परिणाम लापरवाही से असमय मौत के रुप मे आने से परिवार ,परिचित और अन्य आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं ।
 सरकारी हो या निजी अस्पताल दोनो जगह पर डॉक्टर की अनुपस्थिति और मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगवाने से लगातार मरीज मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं।
देवास में कोरोना के कारण सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था कोरोंना पर ही केन्द्रित हो कर रह गई है ।
 महात्मा गांधी अस्पताल से मरीजों को यह कह कर भगा दिया जाता है कि यहां पर ओपीडी बन्द है और कोई डॉक्टर नहीं है जाओ आप लोग। 
इसी प्रकार अगर कोई प्राइवेट अस्पताल का रुख करता है तो या तो अस्पताल वाले इलाज का मना करते हैं या फिर वहां के डॉक्टर अवकाश पर होते हैं।मंगलवार को भी ऐसी ही घटना कोठारी अस्पताल के सामने  दुर्घटना में घायल के साथ हुई।
घायल से देवास हॉस्पिटल, सिटी हॉस्पिटल और  संस्कार हॉस्पिटल में सिर्फ चक्कर लगवाए गए ।
सिर में चोट जैसी मामूली दुर्घटना को इलाज न मिल पाने के कारण गंभीर बना दिया गया जिससे उस मरीज की जान पर बन आई।   देवास में सामाजिक कार्यकर्ता तनवीर शेख को भी समय पर इलाज न मिल पाने के कारण मौत के मुंह में जाना पड़ा। 
राकेश शर्मा इटावा की मृत्यु भी इलाज के अभाव में ही हुई। रसूलपुर निवासी गुलशेर बानो भी अपनी दस दिन की मासूम बच्ची को चिकित्सा लापरवाही के कारण  छोड़कर मौत के मुंह में समा गई। एक दलित बालिका की मौत भी टी बी से होकर समाज ने चिकित्सा अव्यवस्था पर आरोप लगाए ।
एक तरफ तो मुख्यमंत्री और जिलाधीश दावे करते हैं की स्वास्थ्य सेवाएं सभी के इलाज के लिए प्रतिबद्ध हैं, डॉक्टर समय पर सेवाएं दे रहे हैं और कोई डॉक्टर अवकाश पर नहीं है। एस्मा कानून भी लागू बताया जा रहा है लेकिन डॉक्टर कहां और  केसे इलाज कर रहे हैं यह कोई नहीं जानता। 
पत्रकार मोहन वर्मा द्वारा अपने समाचार पत्र के माध्यम से शासन को अवगत कराया कि सरकारी ओर प्राइवेट अस्पताल में मरीजों को टरकाया जा रहा है लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया और 
इसके बाद भी मौत का सिलसिला जारी है । पत्रकार अकरम शेख, अरविंद त्रिवेदी ,खुमानसिंह बैस,अतुल बागलीकर,डाक्टर रईस कुरैशी सहित कांग्रेसी  भी लगातार लापरवाही से हो रही मौत के कारण शासन प्रशासन को सावधान कर रहे  हैं।
अब चिकत्सा के अभाव में हो रही मौत के खिलाफ समाज सेवी भी मैदान में आ रहे हैं । पूर्व पार्षद ,कांग्रेस पदाधिकारी इम्तियाज शेख भल्लु भाई ने भी चिकित्सा व्यवस्था सुधारने का निवेदन प्रशासन से किया है। ऐसा ही एक पत्र महामहिम राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित जिलाधीश देवास और  इंदौर को ईमेल कर मांग की गई है कि चिकित्सा सेवाओं में सभी बीमारियों के इलाज हों ।
 आकस्मिक दुर्घटना और प्रसव जैसी परिस्थितियों में सभी निजी और  सरकारी अस्पतालों में इलाज तत्काल मुहैया करवाए जाएं साथ ही इलाज के अभाव में हुई मौत की जांच की जाकर उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। 
इलाज के अभाव में अब यदि कोई मृत्यु होती है तो सामाजिक कार्यकर्ता खुद ही आमरण अनशन और  भूख हड़ताल पर बैठेंगे।