देवास(शाकिर अली दीप) प्रधानमंत्री एक दिन का जनता कर्फ्यू की मांग करते हैं और इस सफल प्रयोग के बाद पूरा देश थम जाता है । आपातकाल से भी बुरे हालात से हर कोई सहम उठता है । जनता की समस्या और कठिनाइयों को दरकिनार किया जाकर देश में तालाबंदी बार-बार बढ़ाने का कारण यही प्रमाणित कर रहा है कि शासन- प्रशासन के पास इस संक्रमण पर नियंत्रण की प्रभावी, समाधान कारक योजना नहीं है ।
विश्व के विकसित देशों के निवासी घरों में बहुत ही आसानी से रहकर इस संकट से पार हो गए लेकिन बड़ी संख्या में गरीब, मजदूर बेरोजगार ग्रामीणों के हमारे देश में एक महीने से भी अधिक समय तक घरों में रहना चमत्कार ही कहा जा सकता है । इस अदृश्य कातिल पर अंकुश लगाने का एक ही उपाय है "सावधानी", जनजागृति... लॉकडाउन जारी रखना नहीं ।
इस संबंध में हमने समाज के अग्रणी पंक्ति के कुछ जिम्मेदारों से चर्चा की तो शासन-प्रशासन की असफलता स्पष्ट दिखाई देती है और ठोस योजना का अभाव भी ।
दैनिक लोकहित खबर, सच एक्सप्रेस ,खबर भड़ास के संपादक पत्रकार जगदीश जोशी प्रचंड कहते हैं कि शासन-प्रशासन द्वारा इस संकट पर देर से ध्यान देने और तैयारी ना होने से ही स्थिति खतरनाक मोड़ आई है। अव्यवस्थित तालाबंदी से ही समस्याएं और शिकायतें बढ़ती जा रही हैं ।
देवास प्रेस क्लब अध्यक्ष श्रीकांत उपाध्याय कहते हैं कि वायरस संक्रमण के समय प्रशासन अक्षम साबित हुआ है, लॉकडाउन के विस्तार में बिना प्रेस, विपक्ष और समाज प्रमुखों से सलाह लिए आदेश निर्देश थोपना, निर्दोषों पर डंडे बरसा कर जेल पहुंचाना ,आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित नागरिकों की समस्या समाधान की अपेक्षा अपनी मनमानी करना उचित नहीं है । यह विश्व संकट है इसे सबको साथ लेकर आपसी सहमति से ही समाप्त किया जा सकता है ।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य रामचरितमानस प्रवक्ता रत्न और रुद्राक्ष विशेषज्ञ विचारक और कृतज्ञता फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ निधि शुक्ला कहती हैं कि डर की अपेक्षा आशा और बीमारी वायरस की हानि के स्थान पर स्वास्थ्य के सकारात्मक प्रचार से चमत्कारी परिणाम मिल सकते हैं । वायरस प्रभावित, संक्रमित और मृत्यु की अपेक्षा इससे ठीक होने वालों का प्रकाशन ,प्रसारण हो तो जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा व स्थिति सीधी सामान्य हो जाएगी ।
आशा आत्मविश्वास, योग और अध्यात्म पर सर्वाधिक चर्चित उपन्यासकार, देश विदेश में लोकप्रिय लेखिका अदर खेमलता नेगी कहती हैं कि लॉक डाउन बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है, विदेश और हमारे देश की स्थिति अलग है ,44 दिन का लॉक डाउन बहुत होता है, अगर हम इतने दिन बाद भी यह नहीं समझ पाए या समझा पाए कि आगे हमारी दिनचर्या क्या हो? तो फिर कुछ नहीं हो सकता । देश की सबसे बड़ी समस्या और संकट से रूबरू कराने वाले अदृश्य वायरस को लेकर लंबी लड़ाई में हमें अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करते हुए सावधानी से जीवन व्यतीत करना है । लंबे समय तक सब कुछ रोक देने से पहले ही देश का बड़ा नुकसान हो चुका है।
रेलवे सलाहकार समिति भारत सरकार पश्चिम मध्य रेलवे के सदस्य मुकेश सोलंकी ने बार-बार लॉकडाउन की अवधि बढ़ाना गरीब और मजदूर वर्ग के साथ खिलवाड़ होना बताया । सोलंकी ने बताया कि प्रशासन के पास रेड ज़ोन, ऑरेंज ज़ोन की सही परिभाषा ही उपलब्ध नहीं है । कभी कहते हैं कि 10 से कम पॉजिटिव होने पर शहर ऑरेंज जोन में रहेगा और कभी कहते हैं कि आगामी 21 दिन में कोई पॉजिटिव मरीज न आने पर ही शहर को आरेंज ज़ोन में लाया जाएगा।
प्रशासन को लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने के अलावा गरीब और मजदूर वर्ग का भी ख्याल करना चाहिए।
समाजसेवी साधना प्रजापति ने बताया कि प्रशासन बार-बार लॉक डाउन तो बढ़ा रहा है लेकिन मजदूरों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है । देवास शहर में ही अस्थाई रूप से कई जगहों पर मजदूर रुके हुए हैं, रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण मजदूर, देवास के विभिन्न रैन बसेरों में कई मजदूर विगत लॉक डाउन से ही फंसे हुए हैं । प्रशासन सिर्फ राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों के कहने पर मजदूरों के स्थान पर अन्य फंसे हुए लोगों को पहुंचाने में लगा हुआ है लेकिन वास्तविक मजदूर वहीं अभाव में फंसे हुए हैं । सिर्फ उनके भोजन की व्यवस्था ही निगम द्वारा संस्थाओं और व्यक्तिगत सहयोग से हो पा रही है । प्रशासन को लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने के स्थान पर गरीब और मजदूर वर्ग की समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए।
दुर्गा शक्ति सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजसेवी निर्मला परमार कहती हैं प्रशासन-पुलिस , डाक्टरों ,प्रेस और समाजसेवियों के निरंतर प्रयास प्रशंसनीय हैं किन्तु नई चुनौतियों और वातावरण मे नई योजना और तैयारी से आगे बढ़ना है । लॉकडाउन से अब कोई फायदा नहीं है । इसके खतरनाक साईड इफेक्ट सामने आ रहे हैं । आम आदमी ने अभाव ग्रस्त रहकर भी घर मे रहने का कीर्तिमान बनाया है जो प्रणाम करने योग्य है ।
इसी तरह के विचार अनेक नागरिकों ,पत्रकारों और समाजसेवियों से भी मिले कि भयंकर गर्मी ,रुपये और जरुरी सामान के अभाव मे आम आदमी का धैर्य समाप्त होकर वह तनाव मे है। इन्दौर की डाक्टर श्वेता माहेश्वरी फोन पर फ्री काउंसलिंग कर नागरिकों की शंका का समाधान भी कर रही हैं और नई आशा आत्मविश्वास का संचार भी । आम आदमी साधारण सर्दी,खांसी,बुखार और कमजोरी को भी शंका की नज़र से देखकर और अधिक बीमार हो रहा है। हर तरफ नकारात्मक ख़बर ,संदेश और प्रचार ने स्थिति को कठिन कर दिया है । आम आदमी को सहयोग ,सहानुभूति और प्रेम से समझाईश की जगह अपराधियों की तरह व्यवहार ,चेतावानी और पिटाई के विडियो वायरल करने की घटनाएं शासन और प्रशासन-पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न भी हैं?।
सकारात्मक और सफल परिणामों के लिये सकारात्मक व्यवहार ,प्रचार और सहयोग जरुरी है।