-नौ दिनों में अब तक कुल चार कार्रवाई में 216 बाल श्रमिक हुए मुक्त
बाकानेर-मनावर। नईदुनिया न्यूज
बालश्रम के विरूद्ध कार्रवाई करते हुए चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति, महात्मा गांधी सेवा आश्रम, महिला एवं बाल विकास विभाग व सेव द चिल्ड्रन ने पुलिस की सहायता से बाकानेर से 4 किमी दूर भुवादा नहर फाटे से 7 मिनी ट्रक से खेतों में मजदूरी करने ले जाते 83 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया। इसमें 15 बालक व 68 बालिकाएं शामिल हैं। इनकी उम्र 9 से 17 वर्ष के बीच बताई गई है। सातों वाहनों को बाकानेर चौकी पर लाकर चालानी कार्रवाई की गई है। साथ ही बच्चों के पालकों को बुलाकर बच्चों से बाल श्रम न करवाने व उन्हें स्कूल भेजने की समझाइश देकर पालकों के सुपुर्द किया गया।
चाइल्ड लाइन के सदस्य पंकज सूर्यवंशी ने बताया कि बुधवार शाम को सूचना मिली कि भुवादा नहर क्षेत्र से प्रतिदिन बच्चों को खेतों में काम करने के लिए ले जाया जाता है। सूचना मिलने पर सुबह 7 बजे से चाइल्ड लाइन के शेरसिंह डावर, धीरेंद्र सोलंकी, शशि पंवार, सेव द चिल्ड्रन से अरूनांगशु मंडलोई, महात्मा गांधी सेवा आश्रम से प्रसन्नाा बारीक, बाल संरक्षण अधिकारी बलराम ठाकुर, बाल कल्याण समिति सदस्य शिवराम मुुवेल व पुलिस विभाग से राजेश कन्साना, मनीष पांडे, चौकी प्रभारी बाकानेर नारायण रावल भुवादा नहर फाटा पर पहुंच गए। डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद दल को एक के बाद एक 7 मिनी ट्रक मजदूरों से भरे आते दिखाई दिए। इन वाहनों को रोकने पर इन सातों वाहनों से 9 से 17 वर्ष के बीच के कुल 83 बच्चे खेतों में बाल श्रम के लिए ले जाते पाए गए। इन बच्चों की उम्र 9 से 17 वर्ष के बीच थी। ये ग्राम भुवादा, खरगोन, कालीकिराय, दसाई, आमसीपाडला, भिकन्याखेड़ी, रालामंडल, आवलीपुरा के होकर ग्राम पिपरीमान, अजंदा व आस-पास के ग्रामों में खेतों में कपास चुनने, मिर्ची तोड़ने आदि कार्यो के लिए ले जाए जा रहे थे। पुलिस ने सातों वाहनों को चौकी पर खड़ा करके मोटर अधिनियम एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की है। साथ ही दल द्वारा बच्चों के पालकों को बुलाकर बच्चों को स्कूल भेजने की समझाइश देकर उनके सुपुर्द किया।
गौरतलब है कि क्षेत्र में गरीबी, अशिक्षा व जागरूकता के अभाव के चलते बाल श्रम की समस्या ने अपनी गहरी जड़े जमा ली हैं। पालकों की शिक्षा के प्रति विमुखता व इसके महत्व के अज्ञानता के चलते मनावर क्षेत्र में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक पढ़ाई छोड़कर खेतों में काम कर रहे हैं। समस्या को लेकर नईदुनिया ने इसी वर्ष 23 सितंबर को 'जोखिम उठाकर हर रोज श्रम करने जा रहे है बच्चे' व 23 नवंबर को 'कपास की खेती में स्याह हो रही बच्चों की जिंदगी, स्कूल से बन रही दूरी' तथा इसके पूर्व 30 अप्रैल को 'बाल श्रम बढ़ा रहा है शिक्षा के अधिकार से दूरियां' शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशन किया था। नईदुनिया की मेहनत रंग लाई तथा विभिन्ना एनजीओ व विभागों ने 9 दिन के भीतर चार बड़े रेस्क्यू को अंजाम देकर मनावर, सिंघाना, कुक्षी व अब बाकानेर से अब तक कुल 216 बाल श्रमिकों को मुक्त कर उन्हें शिक्षा की धारा से जोड़ने का प्रयास शुरू किया है। इसके पूर्व दल द्वारा मनावर से 3 दिसंबर को 24, सिंघाना से 5 दिसंबर को 57, कुक्षी के अम्बाड़ा क्षेत्र से 6 दिसंबर को 52 व अब बाकानेर से 83 बाल श्रमिक मुक्त किए हैं।
इन चारों रेस्क्यू में एक बात उभर कर सामने आई है कि आर्थिक तंगी व जागरूकता के अभाव में यह बाल श्रमिक श्रम करने को उन्मुख हुए हैं तो कहीं छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए भी इन्हें बाल श्रम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इनमें से कई बाल श्रमिक पालकों द्वारा आर्थिक तंगी का हवाला देकर रुपए नहीं देने पर अपनी शिक्षा के लिए संसाधन जुटाने व अन्य छोटी आवश्यकताओं के लिए भी मजदूरी करते हैं। बाकानेर में मजदूरी करने आई 16 वर्षीय बालिका ने बताया कि वह कक्षा 10 में पढ़ती है। शुक्रवार को विज्ञान का पेपर है। गुरुवार को स्कूल की छुट्टी थी। इसलिए माता-पिता ने मजदूरी पर पहुंचा दिया वहीं कक्षा 7 में पढ़ने वाले 14 वर्षीय बालक ने बताया कि कापी नहीं होने पर कापी खरीदने के लिए मजदूरी पर आया हूं। इसी प्रकार मनावर में एक बालक चप्पल खरीदने के लिए मजदूरी पर आया था तो सिंघाना में करीब 15 बाल श्रमिकों ने कापी-पेन खरीदने के लिए मजदूरी पर आने की बात कही थी। वहीं एक अन्य बात यह सामने आई है कि यह बाल श्रमिक उमरबन, गंधवानी व मनावर के उत्तरी क्षेत्रों के ग्रामों से मनावर के दक्षिणी क्षेत्र के ग्रामों में मजदूरी के लिए ले जाए जाते है। क्योंकी दक्षिणी क्षेत्र में गरीबी, शिक्षा व जागरूकता का अभाव ज्यादा है।