देवास मे दिखावे की गौ सेवा का प्रचार वास्तव मे उपेक्षा और अत्याचार?

शाकिर अली दीप


देवास। पिछले दिनों एक  शासकीय समाचार सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित कर प्रमुखता  से यह बताने का प्रयास किया गया था कि देवास में सड़कों  पर विचरण करते गौ-वंशों  के लिए कलेक्टर और एडीएम मसीहा बनकर सामने आए हैं ।
सड़क पर विचरण करते निराश्रित गोवंश को भोजन उपलब्ध कराने के लिए  एक लोडिंग वाहन में भूसा भरकर सड़क पर विचरण कर रही गायों को भूसा खिलाते हुए कलेक्टर और सहयोगी अधिकारियों के  फोटो और वीडियो समाचार पत्रों मे और न्यूज़ चैनलों पर प्रकाशित प्रसारित किए गए थे ।
 मात्र एक दिन की सेवा का प्रचार-प्रसार होने के अगले दिन से ही नगर निगम के अमले द्वारा प्रतिदिन शहर से गौ-वंशों  को पकड़कर अन्यत्र कहीं ले जाया जा रहा है। 
निगम के अमले द्वारा प्रतिदिन 20 से 25 गायों को निर्दयता से पकड़कर शहर से दूर छोड़ा जा रहा है। वर्तमान मैं लाँकडाउन  के कारण शहरी क्षेत्र के लोगों को खाने-पीने में ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है । ऐसी स्थिति में गरीब और मध्यम वर्ग वर्ग द्वारा शहरी क्षेत्र में पाली गई अपने गायों को रोड पर खुलेआम छोड़ दिया गया था जिनकी सुध जिलाधीश और प्रभारी नगर निगम कमिश्नर ने लेते हुए एक दिन उन्हें खाने का भूसा पशुपालन विभाग के सहयोग से उपलब्ध करवाया और जमकर दयावान होने का प्रचार भी पाया लेकिन अगले दिन से ही प्रतिदिन गायों की धरपकड़ शुरु कर दी गई । 
निगम की गाड़ी द्वारा इन गायों को पकड़कर किसी गौशाला में भेजना बताया गया जबकि प्रतिदिन पकड़ने वाली 20 - 25 गाय में से कुछ गाय ही गौशाला पहुंची । 
 अधिकांश गाय रास्ते मे गायब हो गई । 
लॉकडाउन की इस कठिन परिस्थिति में गौशाला में गौ-वंशों  की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है । 
जिस समय मंडी में गेहूं की आवक होती है उसी समय गौशाला में  भूसे की खरीद की जाती है और कई दानदाता और समाज सेवी संगठन गौशालाओं को निशुल्क या नाममात्र के शुल्क पर भूसा अथवा चारा उपलब्ध कराते रहते हैं ।  इस समय लॉकडाउन के कारण ना तो गायों को भूसा उपलब्ध हो पाया है ना ही उनके खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था है । शासन की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि भी अभी तक गौशालाओं को उपलब्ध नहीं कराई गई है जिससे लॉकडाउन में गौशालाओं की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है । गौशालाओं मे गौ सेवा करने वाले और चरवाहों के लिए भी भोजन का संकट प्रत्यक्ष खड़ा है । शंकरगढ़ स्थित गौशाला में पानी की मोटर जलने के कारण वहां पर गौ-वंशों और लोगों के लिए पीने के पानी की भी समस्या बनी  हुई  है । नगर निगम द्वारा कभी कभार पानी का टैंकर भेजकर औपचारिक कर्तव्य निभा दिया जाता है लेकिन पानी की कोई स्थाई व्यवस्था नगर निगम नहीं करा पाया है । कथित गौभक्त भी गौ-वंशों की इस दयनिय स्थिति से अनजान हैं ।
ऐसी स्थिति में सिर्फ दिखावे की गौ सेवा के स्थान पर गायों को निर्दयता पूर्वक पकड़कर अन्यत्र छोड़ने की जगहों पर गौशालाओं को पर्याप्त मात्रा में सहायता राशि उपलब्ध कराकर वहीं पर गायों की पर्याप्त व्यवस्था की जाए जिससे गौ माता की सच्ची सेवा हो सके। शहर अनेक व्यक्ति ,गौभक्त,सेवक और सहयोगी भी मौजूद हैं जो बिना फोटो प्रचार के गौ-वंशों की सेवा को साकार कर रहे हैं । कुछ नागरिकों का कहना है कि सुबह गाय के दर्न करना शुभ है और दिन अच्छा व्यतीत होता है लेकिन प्रशासन और नगर निगम के कारण अब सुबह सुबह सुअरों के दर्शन होंगे और दिन कैसा होगा यह समझा जा सकता है? । गौशालाओं के संचालक भी शासन प्रशासन की उपेक्षा से परेशान हैं । गौ-वंशों की सुरक्षा ,सम्मान और भोजन के लिए तुरन्त और स्थायी व्यवस्था होना चाहिए ।